Commentary on Ten Commandments of 'SAHAJ MARG' in Hindi Shri Ram Chandra

Posted On Saturday, October 13, 2018 | 9:30:26 AM

सहज मार्ग के दस उसूलों(नियमों) की शरह (व्याख्या)

लेखक / मुसन्निफः श्री रामचन्द्र

अनुवादक मण्डलः श्री मिश्री लाल चतुर्वेदी , श्री लक्ष्मी शंकर , श्री शिवप्रसाद

छपकर शाया हुआः सन्1986 ई.

 

              ओउम् तत्सत्

उसूल नम्बर -1

     सुबह सूरज निकलने से पहले हर एक भाई उठे और संध्या उपासना हत्तुलवसा (यथासम्भव) सूरज निकलने से पहले मुकर्रा (निश्चित) वक्त पर खत्म कर दे । पूजा के लिए अलहदा जगह और आसन मुकर्रर कर ले। जहाँ तक हो सके एक ही आसन से बैठने की आदत डाले । जिस्मानी और मानसिक पाकीजगी का खास ख्याल रखे ।

उसूल नम्बर -2

    पूजा प्रार्थना से शुरू की जावे । प्रार्थना आत्मिक उन्नति के लिए होना चाहिए और इस तरह कि हृदय प्रेम से भर आवे ।

उसूल नम्बर -3

    "हर एक भाई को चाहिए कि अपना मकसद कायम कर ले और वह यह कि ईश्वर तक पहुँच कर उसमें लय अवस्था हासिल कर के मुस्तकिल कायम कर ले , और जब तक यह बात हासिल न हो जाय चैन न आवे ।"

उसूल नम्बर -4

    अपना जीवन साधारण बना लें और वह ऐसा हो कि नेचर से मिलजुल जावे ।

उसूल नम्बर -5

      हमेशा सच बोले और हर मुसीबत को मालिक की तरफ से अपनी भलाई के लिए समझें और उसका धन्यवाद दे ।

उसूल नम्बर -6

   कुल जगत को अपना भाई समझे और सबके साथ ऐसा ही व्यवहार करे।

उसूल नम्बर -7

    अगर किसी से कोई तकलीफ पहुँचे तो उसका एवज लेने का ख्वाहाँ न हो बल्कि मालिक की तरह से समझें और उसका शुक्रिया अदा करें ।

उसूल नम्बर -8

भोजन करने के वक्त जो कुछ मिल जावे खुशी से खावे और ईश्वर की याद में भोजन करे । शुद्ध और पवित्र कमाई का ख्याल रखे ।

उसूल नम्बर -9

अपना रहन-सहन और ब्योहार ऐसा उमदा बना ले कि जिसको देखने से लोगों में नेक ख्याली का एहसास हो और लोग उससे मोहब्बत करने लगें ।

उसूल नम्बर -10

अगर कोई अपराध भूल से हो जावे तो सोते समय ईश्वर को अपने सन्मुख समझ कर उससे दीनता की हालत में क्षमा मांगे और पश्चाताप करे । और इसके लिये प्रार्थना और कोशिश करे कि आइन्दा कोई अपराध न होने पाये ।

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सौजन्यः सोसायटी फॉर बाबूजीज् मिशन, दिल्ली -110059.

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