Hum Sahee Insaan Kaisey Baney............................................Sahaj Marg.....................S C Kishore & Sharad Chandra

Posted On Saturday, April 27, 2013 | 3:32:18 AM

हम सही इंसान कैसे बनें

 

      आज के वर्तमान समय में हमारी यह आम धारणा (सोच) बन चुकी है कि धन जुटाने से ही संसार के समस्त सुख मिल सकते हैं । जैसे कि धन ही सबकी एक मात्र कुंजी है । इसलिए हर व्यक्ति इसी दौर में रात-दिन जीवनपर्यंत लगा रहता है । यह सही है कि धन के द्वारा ही जीवन ही जरूरतेंरोटी, कपड़ा, मकान, बच्चों की शिक्षा, विवाह, बीमारीहारी आदि पूरी होती हैं । लेकिन अधिकांश देखने में यह आता है कि हम धन को ही सब कुछ समझ बैठते हैं । इस प्रकार संयोगवश हम विभिन्न मानसिक तनावों व व्याधियों के शिकार बन जाते हैं । यहां तक कि वे तनाव हमारे जीवन का अंग बन जाते हैं । शायद इसी को देख कबीरदास जी ने कहा था

 

       चलती चाकी देखकर दिया कबीरा रोए,

       दुई पाटन के बीच में साबुत बचा न कोए ।

 

       इन गृह और कर्मचक्रों के बीच में हम एक मौलिक बात भूल जाते हैं कि झंझटों का मुख्य कारण हमारी सोच ही है ।

       एक और भी महत्वपूर्ण बात जिसकी अनदेखी हम अनायास करते रहते हैं कि मौलिक चीजें सरल ही नहीं होतीं, बल्कि उनको पाने के साधन उससे भी ज्यादा सरल होते हैं । लेकिन हमारी यह सोच कि यदि चीज़ें इतनी सरल होतीं तो सभी लोग पा लेते । इस प्रकार हम सरल चीज़ को कठिन बना देते हैं और फिर कठिन बनाकर उसको हल करने की कोशिश करते हैं । जैसे एक सूई गिर जावे तो सबसे आसान तरीका है कि झुक कर उसको उठा लें लेकिन यदि हम सूई को उठाने के लिए क्रेन का इस्तेमाल करेंगे तो ज़ाहिर है कि यह काम मुश्किल हो जावेगा और शायद वह संभव भी न हो पाए ।

       सोच (मानसिक क्रिया) एक सूक्ष्म विधि है । इस सूक्ष्म को बदलने के लिए साधन भी सूक्ष्म ही होना चाहिए । कथावार्ता, भजन-कीर्तन, पूजा-पाठ, पौराणिक व आध्यात्मिक ग्रंथों का पठन-पाठन, डॉक्टरों वैद्यों से उपचार कराना आदि आदि यह सब बाहरी साधन हैं । इतिहास और हमारा अनुभव इस बात का गवाह है कि यह साधन सूक्ष्म को भेदने में सफल नहीं है ।

       ध्यान (मैडीटेशन) वह सूक्ष्म विधि है जो हमारे अंतरंग में सूक्ष्म तत्व तक पहुंच जाती है । लेकिन ध्यान की क्रिया भी उपयुक्त विधि से होनी चाहिए ।

       बाबूजी मिशन सोसायटी ध्यान का एक स्वाभाविक एवं सरल तरीका बतलाती है । इससे मनुष्य का मानसिक तनाव व व्याधियां शीघ्र ही बहुत सरल तरीके से सही हो जाते हैं । इस पद्यति को शाहजहां पुर (0प्र0) निवासी रामचन्द्र जी महाराज ने चलाया था । वह प्राय: बाबूजी के नाम से जाने जाते हैं । प्रकृति ने इस पद्यति का नाम सहज मार्ग रखा है यह सोसायटी इस पद्यति का नि:शुल्क प्रचार करती है।

 

जरा आज़मा कर तो देखिए !

 

सोसायटी फार बाबूजी मिशन (रजिस्ट्रर्ड)

– 6/2 राणा प्रताप बाग, दिल्ली – 110007

फोन 9811678581 / 0-994497128 / 011- 23277041.

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Posted By : vishnukumar  |  Total views : 1600